भारत में जलवायु न्याय: मुददे एवं चुनौतियाँ

International Journal of Social Science Research (IJSSR)

International Journal of Social Science Research (IJSSR)

An Open Access, Peer-reviewed, Bi-Monthly Journal

ISSN: 3048-9490

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 3 (May - June 2025)
Article Title

भारत में जलवायु न्याय: मुददे एवं चुनौतियाँ

Author(s) नवीन कुमार.
Country India
Abstract

वर्तमान विश्व के सामने जो सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियां है, उनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण चुनौती जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन का विकास प्रक्रिया के प्रत्येक पक्ष पर असर पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के असमान वितरण को कम करने और पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तथा इसके विभिन्न घटकों के मध्य संतुलन स्थापित करने की स्थिति ‘क्लाइमेट जस्टिस’ कहलाती है। जलवायु न्याय, समाज के गरीब और वंचित वर्गों के अधिकारों और हितों की रक्षा के बारे में है, जो अक्सर जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्परिणामों से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। 2015 में 190 से ज्यादा देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने का पेरिस समझौता किया था। भारत में भी कार्बन उत्सर्जन में कटौती और तीन अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने लायक वन क्षेत्र बढ़ाने का वादा किया था। 2030 तक भारत अपने 40% बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों को प्राप्त करना चाहता है। इससे यह प्रतीत होता है कि भारत सही रास्ते पर है। भारत दृढ़ता से विश्वास करता है कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक सामूहिक कार्रवाई समस्या है जिसे केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा बहुपक्षीय आधार पर ही हल किया जा सकता है। इसी वैचारिक पृष्ठभूमि में प्रस्तुत आलेख भारत में जलवायु न्याय से संबंधित मुददे एवं चुनौतियों के अध्ययन का एक प्रयास है।

Area Social Science
Published In Volume 2, Issue 2, April 2025
Published On 21-04-2025
Cite This कुमार, . (2025). भारत में जलवायु न्याय: मुददे एवं चुनौतियाँ. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 2(2), pp. 242-246, DOI: https://doi.org/10.70558/IJSSR.2025.v2.i2.30335.
DOI 10.70558/IJSSR.2025.v2.i2.30335

PDFView / Download PDF File