महादेवी वर्मा का नारीवाद: स्त्री अस्मिता और स्वतंत्रता की तलाश

International Journal of Social Science Research (IJSSR)

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An Open Access, Peer-reviewed, Bi-Monthly Journal

ISSN: 3048-9490

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 1 (January - February 2025)
Article Title

महादेवी वर्मा का नारीवाद: स्त्री अस्मिता और स्वतंत्रता की तलाश

Author(s) सोनम सिंह.
Country India
Abstract

महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की प्रमुख हस्तियों में से एक हैं, जिन्हें "छायावाद युग की महादेवी" के रूप में जाना जाता है। उनका साहित्यिक योगदान केवल काव्य तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने गद्य, निबंध, आत्मकथात्मक लेखन और पत्र साहित्य के माध्यम से भी अपनी सृजनशीलता का परिचय दिया। महादेवी वर्मा का साहित्य उनके गहन मानवीय दृष्टिकोण, संवेदनशीलता और समाज के प्रति जागरूकता का परिचायक है। वे न केवल एक कवयित्री थीं, बल्कि एक विचारक, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं, जिन्होंने भारतीय समाज में नारी के स्थान और उसकी स्वतंत्रता के प्रश्नों को गहराई से उठाया। महादेवी वर्मा का नारीवाद उनके साहित्य में स्पष्ट रूप से उभर कर आता है। उनका नारीवादी दृष्टिकोण पश्चिमी नारीवाद की नकल मात्र नहीं है, बल्कि यह भारतीय संदर्भ में स्त्री की अस्मिता और उसकी स्वतंत्रता की खोज पर आधारित है। उन्होंने स्त्री के भीतर छिपी अदम्य शक्ति और उसकी पहचान को समाज के सामने लाने का प्रयास किया। महादेवी ने नारी को केवल गृहलक्ष्मी या त्यागमूर्ति के पारंपरिक रूप में नहीं देखा, बल्कि उसे एक आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी और स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया।

Area Literature
Published In Volume 1, Issue 6, December 2024
Published On 12-12-2024
Cite This सिंह, . (2024). महादेवी वर्मा का नारीवाद: स्त्री अस्मिता और स्वतंत्रता की तलाश. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 1(6), pp. 8-13.

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