Article Title |
महादेवी वर्मा की कविता में नारी चेतना और सामाजिक परिप्रेक्ष्य |
Author(s) | ऋतु वर्मा. |
Country | India |
Abstract |
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के छायावादी युग की एक प्रमुख स्तंभ थीं, जिनकी कविताएँ न केवल उनकी कालजयी साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाती हैं, बल्कि समाज और नारी के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता और समझ का परिचय भी देती हैं। महादेवी वर्मा का साहित्य उनके व्यक्तिगत अनुभवों, संवेदनाओं और गहन आध्यात्मिक दृष्टिकोण का प्रतिफल है। उन्होंने न केवल छायावाद को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया, बल्कि अपने साहित्य के माध्यम से नारी के भीतर दबे हुए संघर्ष, वेदना और उसकी स्वतंत्रता की आकांक्षा को भी सामने रखा। महादेवी वर्मा के समय का भारतीय समाज पितृसत्तात्मक विचारधारा से संचालित था, जहाँ नारी को मुख्यतः घर और परिवार तक सीमित माना जाता था। इस सामाजिक व्यवस्था में नारी के अधिकारों और स्वतंत्रता की कल्पना करना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। ऐसे समय में महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं और गद्य रचनाओं के माध्यम से नारी के मानसिक और सामाजिक संघर्षों को अभिव्यक्ति दी और उसके अधिकारों के लिए आवाज उठाई। |
Area | Literature |
Published In | Volume 1, Issue 3, June 2024 |
Published On | 05-06-2024 |
Cite This | वर्मा, . (2024). महादेवी वर्मा की कविता में नारी चेतना और सामाजिक परिप्रेक्ष्य. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 1(3), pp. 24-31. |