Article Title |
प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना: यथार्थवाद और मानवतावादी दृष्टिकोण का अध्ययन |
Author(s) | सुनीता साहू. |
Country | India |
Abstract |
हिंदी साहित्य के इतिहास में प्रेमचंद को यथार्थवाद और सामाजिक चेतना का अग्रदूत माना जाता है। उनके उपन्यास न केवल साहित्यिक उत्कृष्टता का उदाहरण हैं, बल्कि भारतीय समाज की समस्याओं, संघर्षों और सुधारों का जीवंत दस्तावेज़ भी हैं। प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से उस समय के भारतीय समाज की जटिलताओं, आर्थिक असमानताओं, जातिगत भेदभाव, नारी शोषण और ग्रामीण भारत की समस्याओं को गहराई से उजागर किया। उनकी लेखनी में न केवल समस्याओं का वर्णन मिलता है, बल्कि सामाजिक सुधार और मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूकता का आह्वान भी है। प्रेमचंद का साहित्य उनके समय की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का प्रतिबिंब है, जो आज भी प्रासंगिक है। यह शोध पत्र प्रेमचंद के उपन्यासों में उभरती सामाजिक चेतना का विश्लेषण करता है। इसमें यह समझने का प्रयास किया गया है कि कैसे उनके साहित्य ने समाज को न केवल आईना दिखाया, बल्कि उसे सुधारने के लिए प्रेरित भी किया। इसके साथ ही उनके उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं के समाधान की दिशा में उनकी दृष्टि को भी समझा जाएगा। |
Area | Literature |
Issue | Volume 1, Issue 1, January 2024 |
Published | 17-01-2024 |
How to Cite | International Journal of Social Science Research (IJSSR), 1(1), 15-22. |