Article Title |
अष्टांगिक मार्ग की प्रासंगिकता: व्यक्तित्व विकास के विशेष सन्दर्भ में |
Author(s) | SHAILENDRA WASNIK , Prof. Bhagwant Singh. |
Country | India |
Abstract |
व्यक्तित्व को परिभाषित करने के लिये व्यक्ति के समस्त बाह्य एवं आन्तरिक गुणों का अध्ययन आवश्यक है जो व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया में सहायक सिद्ध होगा। व्यक्तित्व विशेष लक्षणों का योग न होकर व्यक्ति के बाह्य एवं आन्तरिक गुणों की समग्रता है। व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया स्थिर न होकर परिवर्तनशील है। दार्शनिक सम्प्रदायों में व्यक्तित्व विकास का सम्बन्ध मानव के नैतिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास से है जिसके अनुसार व्यक्तित्व विकास का उद्देश्य न केवल बौद्धिक विकास वरन् मानव के सम्पूर्ण आत्मिक एवं नैतिक उत्थान हेतु मार्ग प्रशस्त कराना है जो उसे सांसारिक एवं आध्यात्मिक विकास की ओर समायोजित करने योग्य बनाए। आधुनिक युग में मानव विभिन्न संसाधनों का उपयोग कर भौतिक उन्नति करता जा रहा है किन्तु जीवन के परम् लक्ष्य की प्राप्ति में उसकी अपूर्णता बनी हुई है यह अपूर्णता व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती है। व्यक्तित्व विकास के गूढ़तम रहस्यों को खोजने तथा जीवन की सार्थकता हेतु अष्टांगिक मार्ग साधना पद्धति का ज्ञान अत्यन्त उपयोगी एवम् महत्वपूर्ण है। अष्टांगिक मार्ग की प्रासंगिकता के आधार पर प्रस्तुत आलेख में व्यक्तित्व विकास को विकसित करने की सार्थकता पर विचार करने का प्रयास किया गया है। शारीरिक, मानसिक, संवेदनात्मक, सामाजिक एवम् आध्यात्मिक विकास के लिए अष्टांगिक मार्ग एक सम्यक् मार्ग है जिसका अनुसरण कर व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ आदर्श समाज का निर्माण किया जा सकता है। अष्टांगिक मार्ग तथा व्यक्तित्व विकास के मध्य अटूट सम्बन्ध है। शोध आलेख के माध्यम से अष्टांगिक मार्ग का व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सकारात्मक प्रभाव प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। |
Area | Philosophy |
Issue | Volume 2, Issue 4, July 2025 |
Published | 28-07-2025 |
How to Cite | WASNIK, S., & Singh, B. (2025). अष्टांगिक मार्ग की प्रासंगिकता: व्यक्तित्व विकास के विशेष सन्दर्भ में. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 2(4), 171-177, DOI: https://doi.org/10.70558/IJSSR.2025.v2.i4.30478. |
DOI | 10.70558/IJSSR.2025.v2.i4.30478 |