| Article Title |
पंचायती राज प्रणाली: ग्रामीण सशक्तिकरण का एक माध्यम |
| Author(s) | Jyoti Rawat. |
| Country | India |
| Abstract |
पंचायती राज प्रणाली भारत में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का आधार स्तंभ है, जिसे ग्रामीण सशक्तिकरण के महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में देखा जाता है। यह प्रणाली भारतीय समाज की गहराई तक व्याप्त है, जहां लोकतंत्र को ग्राम स्तर तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। भारत में पंचायती राज प्रणाली का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जनता को उनकी अपनी समस्याओं के समाधान और विकास के लिए सशक्त बनाना है। यह एक ऐसा तंत्र है, जो स्थानीय स्तर पर लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करता है और उन्हें अपनी नियति को सुधारने का अवसर प्रदान करता है। इस प्रणाली का आधार संविधान के 73वें संशोधन (1992) में रखा गया था, जिसमें इसे एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इसके तहत ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के रूप में तीन स्तरीय प्रणाली का निर्माण किया गया। पंचायती राज का विचार भारत के इतिहास में प्राचीन समय से ही मौजूद रहा है। वैदिक काल से ही पंचायती व्यवस्था ग्रामीण समाज का अभिन्न हिस्सा रही है, जहां ग्रामीण समस्याओं का समाधान 'पंच परमेश्वर' के माध्यम से किया जाता था। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पंचायती राज को ग्राम स्वराज का आधार माना और इसे ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक बताया। हालांकि, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में पंचायती राज को पूरी तरह लागू करने में कई दशक लगे। 1959 में राजस्थान के नागौर जिले में इसे पहली बार आधिकारिक रूप से लागू किया गया। इसके बाद धीरे-धीरे यह प्रणाली पूरे देश में विस्तारित हुई। |
| Area | Sociology |
| Issue | Volume 1, Issue 2 (March - April 2024) |
| Published | 10-03-2024 |
| How to Cite | Rawat, J. (2024). पंचायती राज प्रणाली: ग्रामीण सशक्तिकरण का एक माध्यम. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 1(2), 11-18. |
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