भारतीय ज्ञान परम्परा और आधुनिक भारतीय शिक्षा में आयुर्वेद की प्रासंगिकता व महत्व

International Journal of Social Science Research (IJSSR)

International Journal of Social Science Research (IJSSR)

An Open Access, Peer-reviewed, Bi-Monthly Journal

ISSN: 3048-9490

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 5 (September - October 2025)
Article Title

भारतीय ज्ञान परम्परा और आधुनिक भारतीय शिक्षा में आयुर्वेद की प्रासंगिकता व महत्व

Author(s) Rajeshwari Vijay.
Country India
Abstract

हम विकसित भारत की कल्पना को साकार तभी कर पाएंगे, जब मानसिक रूप से पूर्ण विकसित व स्वस्थ होंगे हमारे देश की उपचार प्रणालियां वर्षों पुरानी है और आयुर्वेद पद्धति एक ऐसी प्रणाली है जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है यह मन शरीर और आत्मा का सम्बोधन है आयुर्वेद मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आहार तथा जीवन शैली में कुछ खठास व्यायाम शामिल करके अपनी दिनचर्या को संतुलित, संयमित और स्वस्थ बनाता है। सबसे प्राचीन ऋग्वेद माना जाता है तत्पश्चात् यजुर्वेद ,सामवेद लिखे गए और सबसे अंत में अथर्ववेद लिखा गया इसलिए इन चारों वेदों में अथर्ववेद सबसे नवीन वेद माना गया है। हमारे वेदों में ज्योतिषशास्त्र ,गणित ,रसायन ,औषधि, प्राकृति, खगोल ,भूगोल ,धार्मिक, नियम ,उपनियम धरती, आकाश ,सूर्य ,चंद्रमा बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान इनमें भरा है।भारत सम्पूर्ण विश्व में अपने आयुर्वेदिक प्रणाली के लिए एक विशिष्ट स्थान रखता है विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए प्राचीन भारत और आधुनिक भारत को जोड़कर उसका लाभ लेकर एक समन्वित दृष्टिकोण का विकास करके की बल्कि मैं तो कहूँगी इन दोनों धाराओं में सामंजस्य से स्थापित करते हुए एक समृद्ध, विकसित, भारत की स्थापना हो सकती है जिससे भारतीय अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धति और प्राचीन वेदों को शिक्षा में स्थान देकर आयुर्वेद की विरासत पर गर्व कर सकते है ।

Area Social Science
Issue Volume 1, Issue 1, January 2024
Published 25-01-2024
How to Cite Vijay, R. (2024). भारतीय ज्ञान परम्परा और आधुनिक भारतीय शिक्षा में आयुर्वेद की प्रासंगिकता व महत्व. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 1(1), 85-91.

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