प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना: यथार्थवाद और मानवतावादी दृष्टिकोण का अध्ययन

International Journal of Social Science Research (IJSSR)

International Journal of Social Science Research (IJSSR)

An Open Access, Peer-reviewed, Bi-Monthly Journal

ISSN: 3048-9490

Call For Paper - Volume - 2 Issue - 1 (January - February 2025)
Article Title

प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना: यथार्थवाद और मानवतावादी दृष्टिकोण का अध्ययन

Author(s) सुनीता साहू.
Country India
Abstract

हिंदी साहित्य के इतिहास में प्रेमचंद को यथार्थवाद और सामाजिक चेतना का अग्रदूत माना जाता है। उनके उपन्यास न केवल साहित्यिक उत्कृष्टता का उदाहरण हैं, बल्कि भारतीय समाज की समस्याओं, संघर्षों और सुधारों का जीवंत दस्तावेज़ भी हैं। प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से उस समय के भारतीय समाज की जटिलताओं, आर्थिक असमानताओं, जातिगत भेदभाव, नारी शोषण और ग्रामीण भारत की समस्याओं को गहराई से उजागर किया। उनकी लेखनी में न केवल समस्याओं का वर्णन मिलता है, बल्कि सामाजिक सुधार और मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूकता का आह्वान भी है। प्रेमचंद का साहित्य उनके समय की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का प्रतिबिंब है, जो आज भी प्रासंगिक है। यह शोध पत्र प्रेमचंद के उपन्यासों में उभरती सामाजिक चेतना का विश्लेषण करता है। इसमें यह समझने का प्रयास किया गया है कि कैसे उनके साहित्य ने समाज को न केवल आईना दिखाया, बल्कि उसे सुधारने के लिए प्रेरित भी किया। इसके साथ ही उनके उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं के समाधान की दिशा में उनकी दृष्टि को भी समझा जाएगा।

Area Literature
Published In Volume 1, Issue 1, January 2024
Published On 17-01-2024
Cite This साहू, . (2024). प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना: यथार्थवाद और मानवतावादी दृष्टिकोण का अध्ययन. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 1(1), pp. 15-22.

PDFView / Download PDF File